न मंज़िल है कोई न कोई कारवाँ | Hindi Shayari by Shaad Udaipuri

Akbar Khan Hindi Kavi

न मंज़िल है कोई न कोई कारवाँ
बड़े चले जा रहे हैं, रुकेंगे कहाँ

कुछ पल बचा लो अपनो के लिए
जो देखोगे पलट के, ये मिलेंगे कहाँ

वक़्त का तक़ाज़ा कहता है यही
जो बीत गये पल, फिर आएँगे कहाँ

आओ इस पल को यादगार बना लें
जो बातें होंगी अभी, फिर करेंगे कहाँ

हम भागते रहे माया के लिए हर जगह
सुख जो परिवार में है, वो मिलेगा कहाँ 

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