कोई बात नही हैं हुई : शाद उदयपुरी हिंदी शायरी - काव्य ज्योति

कोई बात नही हैं हुई
अभी रात नही हैं हुई
बोलो जाएँ तो जाएँ कहाँ
मुलाक़ात नही हैं हुई
रात सपने में देखा जिसे
सौग़ात नही हैं हुई
इश्के बाज़ार में जानेमन
अभी मात नही हैं हुई
तू मेरी ना हुई तो कभी
कायनात नही है हुई
दिल में बादल बहुत हैं उठे
फिरभी बरसात नही है हुई
'शाद' हमको हरा दे कोई
ऐसी बात नही हैं हुई
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