आप सा देखा नहीं दिल कहीं लगता नहीं | हिंदी शायरी - शायर शाद उदयपुरी

आप सा देखा नहीं
दिल कहीं लगता नहीं
हसरतें ज़िन्दा हैं अब भी
दर्द-ए-दिल मिटता नहीं
वो तो है अंजान मुझसे
दिल मेरा बदला नहीं
बेपनहा है इश्क़ उनसे
बस उन्हें दिखता नहीं
चाहते हैं अब भी उनको
दिल कहीं बसता नहीं
उनसे मिलने की चाहत है
वो कभी समझा नहीं
याद आती है अभी भी
वक़्त क्यों बदला नहीं
ग़ैर हैं हम लोग सारे
साथ जग चलता नहीं
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