ऐसे ही नही दिल हारे थे हम | हिंदी शायरी - शायर शाद उदयपुरी

Akbar Khan Poetry
ऐसे ही नही दिल हारे थे हम
मोहब्बत के ऐहसास कुछ उधर भी थे

जो बदल गए वो उनकी मर्ज़ी
हम ना भूल पाए ये मोहब्बत मेरी

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