लड़ा के हिंदू और मुस्लिम ये गद्दी चाहते हो क्यूँ | हिंदी शायरी - शायर शाद उदयपुरी

Akbar Khan Kavya Gosthi

चमन में आग तुम लगाते हो क्यूँ
वतन का नाम तुम मिटाते हो क्यूँ

देश के चंद ग़द्दारों को
तुम यू बचाते हो क्यूँ

चंद पैसों के लिए अपने
ईमान को गिराते हो क्यूँ

झूठे झूठे ख़्वाब दिखाके
हँसा के फिर रुलाते हो क्यूँ

वतन पे मर मिटने वालों के
घर को भी खा जाते हो क्यूँ

लड़ा के हिंदू और मुस्लिम
ये गद्दी चाहते हो क्यूँ

हम एक थे और एक ही रहेंगे सदा
हमें तोड़ने की साज़िश रचाते हो क्यूँ

ईद भी हमारी, दिवाली भी हमारी
हमें मंदिरों और मस्जिदों में बाटते हो क्यूँ

- शाद उदयपुरी

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