देख के तेरा बचपन याद आता है कुछ अपना भी | शायर शाद उदयपुरी
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
चिंता ना कल की
ना किसी काम की
चिड़िया उड़, गुड़िया की शादी
खेला करते थे सब
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
मस्ती के पल
गरमी के वो दिन
लूडो कैरम बिज़्नेस का खेल
ना आएँगे अब वो दिन
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
देख कर इसको
कुछ पल मुस्कुरा देते है
अपने बचपन को
फिर जी लेते है
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
याद आता है कुछ अपना भी
चिंता ना कल की
ना किसी काम की
चिड़िया उड़, गुड़िया की शादी
खेला करते थे सब
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
मस्ती के पल
गरमी के वो दिन
लूडो कैरम बिज़्नेस का खेल
ना आएँगे अब वो दिन
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
देख कर इसको
कुछ पल मुस्कुरा देते है
अपने बचपन को
फिर जी लेते है
देख के तेरा बचपन
याद आता है कुछ अपना भी
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